मंदिरों में हो रही है
पूजा अर्चना
और
गिरजाघरों में
प्रार्थनाएं
मस्जिदों में
आसमान की ओर
उठ रहे हैं-सैकड़ो
हाथ
अल्लाह-’मेघ दे,पानी दे’
वह
बैठा चुपचाप
ताक रहा है
अपने घर की छत
और
कर रहा है
मन ही मन प्रार्थना
हे !इंद्र देव
अभी, कुछ दिन और
बनायें रखना
मेरे ऊपर कृपा !
डॉ.मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद(उ.प्र.)
Saturday 9 July 2011
Saturday 7 May 2011
सड़क,बंधुआ मजदूर और भगवान
अक्सर
रात को
मैँ शहर मेँ घूमता हूँ
काली, पसरी और
गढ्रढेदार सड़क
देखकर
मुझे अहसास होता है
किसी बंधुआ मजदूर का
जो दिनभर की थकन
उतारने के लिए
पसर गया हो
और
मालिक की तरह
भौंकते हुए कुत्ते
उसकी नीँद मेँ
खलल डाल रहे होँ
सड़क के दोनोँ ओर
फुटपाथ पर
बच्चोँ को सोया देख
मुझे याद आता है
बच्चे भगवान होते हैँ
मैँ सोचता हूं
भगवान का स्थान
क्या फुटपाथ पर होता है
रात को
मैँ शहर मेँ घूमता हूँ
काली, पसरी और
गढ्रढेदार सड़क
देखकर
मुझे अहसास होता है
किसी बंधुआ मजदूर का
जो दिनभर की थकन
उतारने के लिए
पसर गया हो
और
मालिक की तरह
भौंकते हुए कुत्ते
उसकी नीँद मेँ
खलल डाल रहे होँ
सड़क के दोनोँ ओर
फुटपाथ पर
बच्चोँ को सोया देख
मुझे याद आता है
बच्चे भगवान होते हैँ
मैँ सोचता हूं
भगवान का स्थान
क्या फुटपाथ पर होता है
Saturday 30 April 2011
भेड़ियों के सम्मुख
रेल की पटरियों सा
हो गया जीवन
कुछ पाने के लिए
हम भटकते रहे
अर्थ लाभ के लिए
बर्फ से गलते रहे
सुख की कामना में
जर्जर हो गया तन
स्वाभिमान भी रख
गिरवीं नागोँ के हाथ
भेड़ियों के सम्मुख
टिका दिया माथ
इस तरह होता रहा
अपना रोज चीरहरन
रेल की पटरियों सा
हो गया जीवन
हो गया जीवन
कुछ पाने के लिए
हम भटकते रहे
अर्थ लाभ के लिए
बर्फ से गलते रहे
सुख की कामना में
जर्जर हो गया तन
स्वाभिमान भी रख
गिरवीं नागोँ के हाथ
भेड़ियों के सम्मुख
टिका दिया माथ
इस तरह होता रहा
अपना रोज चीरहरन
रेल की पटरियों सा
हो गया जीवन
Saturday 16 April 2011
तमाशा जन्मदिन का
लोग आये
उन्होंने
मोमबत्तियां बुझाईं
केक काटा
तालियां बजाईँ
और
नारे उछाले
“हैप्पी बर्थ डे टू यू ”
फिर उन्होंने
बच्चे को देखा
उसके मम्मी -डैडी को देखा
एक अर्थभरी
मुस्कान फैंकी
और
बच्चे के हाथ में
पकड़ा दिया एक
वज़नी लिफाफा
और बढ़ते गये
खाने की टेबिल की ओर
देर रात तक
यह सिलसिला
चलता रहा
और बच्चा
टुकुर टुकुर देखता रहा
मम्मी डैडी को
लिफाफों को
और लोगों की
मुस्कान को
देखते देखते
यह तमाशा
अपने जन्मदिन का
जब थक गया बच्चा
तब, सबकी नजर बचा
एक बूढ़ी नौकरानी आई
उसने
सिर्फ उसके सिर पर
प्यार भरा हाथ फेरा
और
मुस्कराई
अब बच्चा
टुकुर टुकुर नहीं देख रहा था
खिलखिला रहा था
## डा. मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद (उ.प्र.)
उन्होंने
मोमबत्तियां बुझाईं
केक काटा
तालियां बजाईँ
और
नारे उछाले
“हैप्पी बर्थ डे टू यू ”
फिर उन्होंने
बच्चे को देखा
उसके मम्मी -डैडी को देखा
एक अर्थभरी
मुस्कान फैंकी
और
बच्चे के हाथ में
पकड़ा दिया एक
वज़नी लिफाफा
और बढ़ते गये
खाने की टेबिल की ओर
देर रात तक
यह सिलसिला
चलता रहा
और बच्चा
टुकुर टुकुर देखता रहा
मम्मी डैडी को
लिफाफों को
और लोगों की
मुस्कान को
देखते देखते
यह तमाशा
अपने जन्मदिन का
जब थक गया बच्चा
तब, सबकी नजर बचा
एक बूढ़ी नौकरानी आई
उसने
सिर्फ उसके सिर पर
प्यार भरा हाथ फेरा
और
मुस्कराई
अब बच्चा
टुकुर टुकुर नहीं देख रहा था
खिलखिला रहा था
## डा. मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद (उ.प्र.)
Friday 15 April 2011
अन्ना हजारे के नाम
पीसीओ के लिए आवेदन पत्र
आमंत्रित हैँ
की जानकारी होते ही
हम भी पहुँच गये
टेलीफोन के दफ्तर
फार्म लेने के लिए
लगी लंबी लाइन देखकर
आने लगे सिर में चक्कर
थोड़ी देर बाद एक कर्मचारी
ने बड़ी शालीनता से पूछा
क्या मैं आपकी सहायता
कर सकता हूं
बीस रुपये का फार्म
मात्र सौ रुपये में अभी
दिला सकता हूँ
मैंने सोचा
सौदा कोई बुरा नहीँ है
लाइन में घंटोँ खड़ा
होने से बच जाउंगा
घर जाकर
चादर तानकर सो जाउंगा
फार्म जमा करने के
कुछ दिन बाद
मैँने फिर लगाया
दफ्तर का चक्कर तो
संबंधित अधिकारी ने
कहा बड़ी गंभीरता से
भाई साहब
यदि आपको
वास्तव में पीसीओ चाहिए
तो दिल्ली जाकर मंत्री जी से
अपने चरित्र का
प्रमाण पत्र ले आइए
अगर आप ऐसा नहीँ कर सकते
तो भी कोई बात नहीँ
आपका काम हो जायेगा
बस डिमांड नोट की राशि मेँ
एक शून्य बढ़ जायेगा
मैँने कहा
यह तो खुलेआम भ्रष्टाचार है
वह आध्यात्मिक मुद्रा मेँ बोले
भाई साहब
इसका तो हर कोई शिकार है
इसके खिलाफ आप कहाँ जायेँगे
जहां जायेँगे इसे पायेँगे
लगता है आप
अखबार नहीं पढ़ते
अन्यथा यह बात नहीं कहते
इस आरोप से तो
मंत्री जी भी नहीं बच सके
तो हम कैसे बच पायेँगे
कुछ दिन तक तो जरूर
आप बौखलायेँगे
फिर लौटकर हमारी ही
शरण मेँ आयेँगे
### डा. मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद
आमंत्रित हैँ
की जानकारी होते ही
हम भी पहुँच गये
टेलीफोन के दफ्तर
फार्म लेने के लिए
लगी लंबी लाइन देखकर
आने लगे सिर में चक्कर
थोड़ी देर बाद एक कर्मचारी
ने बड़ी शालीनता से पूछा
क्या मैं आपकी सहायता
कर सकता हूं
बीस रुपये का फार्म
मात्र सौ रुपये में अभी
दिला सकता हूँ
मैंने सोचा
सौदा कोई बुरा नहीँ है
लाइन में घंटोँ खड़ा
होने से बच जाउंगा
घर जाकर
चादर तानकर सो जाउंगा
फार्म जमा करने के
कुछ दिन बाद
मैँने फिर लगाया
दफ्तर का चक्कर तो
संबंधित अधिकारी ने
कहा बड़ी गंभीरता से
भाई साहब
यदि आपको
वास्तव में पीसीओ चाहिए
तो दिल्ली जाकर मंत्री जी से
अपने चरित्र का
प्रमाण पत्र ले आइए
अगर आप ऐसा नहीँ कर सकते
तो भी कोई बात नहीँ
आपका काम हो जायेगा
बस डिमांड नोट की राशि मेँ
एक शून्य बढ़ जायेगा
मैँने कहा
यह तो खुलेआम भ्रष्टाचार है
वह आध्यात्मिक मुद्रा मेँ बोले
भाई साहब
इसका तो हर कोई शिकार है
इसके खिलाफ आप कहाँ जायेँगे
जहां जायेँगे इसे पायेँगे
लगता है आप
अखबार नहीं पढ़ते
अन्यथा यह बात नहीं कहते
इस आरोप से तो
मंत्री जी भी नहीं बच सके
तो हम कैसे बच पायेँगे
कुछ दिन तक तो जरूर
आप बौखलायेँगे
फिर लौटकर हमारी ही
शरण मेँ आयेँगे
### डा. मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद
Tuesday 12 April 2011
जरूरी है कुत्तों को बिस्कुट खिलाना
जब से मैँने
कुत्तोँ को
खिलाने शुरु किए हैँ बिस्कुट
तब से वे
मुझे देखकर भौँकते नहीँ
दुम हिलाते हैँ
जब भी मैँ निकलता हूँ घर से
वे मेरे आगे-पीछे चलते हैँ
यह देखकर अब
मोहल्ले वाले भी
नमस्ते करते हैँ
लोग मुझसे मिलने से पहले
अब इन कुत्तोँ से मिलते हैँ
और इन्हेँ खिलाकर बिस्कुट
मेरा मूड पूछते हैँ
सच कहूँ मैँ भी अब
इनपर कुछ ज्यादा ही
भरोसा करने लगा हूँ
आजकल इन्हीँ के
मार्गदर्शन मेँ चलने लगा हूँ
यह रोज रोज बिस्कुट
डालने का ही प्रताप है
ये मुझे अकेला
नहीँ रहने देते
फालतू लोगोँ को अपनी बात
नहीँ कहने देते
कल,म्युनिसपिलटी वाले
अपनी औकात भूल गए
इन कुत्तोँ मेँ से एक को
उठाकर ले गए
इन्हीँ कुत्तोँ के कारण
एक मंत्री जी से हो गया था याराना
मेरे फोन पर उन्होँने
भेज दिया फौरन परवाना
हुआ चमत्कार
बाइज्जत छोड़ते हुए
बोले म्युनिसपिलटी वाले
गलती हो गयी सरकार
दुम खड़ी करता हुआ
फूलमालाओँ से लदा
कुत्ता वापस आ गया
और मेरा रौब अब
दूसरे मोहल्लोँ मेँ भी छा गया
धीरे धीरे कुत्तोँ की
संख्या बढ़ती गयी
साथ-साथ मेरी
कीमत भी चढ़ती गयी
काश!
ये राज मैँ पहले समझ जाता
कि आज के इस कुत्तागर्दी
के दौर मेँ
जरूरी है कुत्तोँ को बिस्कुट खिलाना
कुत्तोँ को
खिलाने शुरु किए हैँ बिस्कुट
तब से वे
मुझे देखकर भौँकते नहीँ
दुम हिलाते हैँ
जब भी मैँ निकलता हूँ घर से
वे मेरे आगे-पीछे चलते हैँ
यह देखकर अब
मोहल्ले वाले भी
नमस्ते करते हैँ
लोग मुझसे मिलने से पहले
अब इन कुत्तोँ से मिलते हैँ
और इन्हेँ खिलाकर बिस्कुट
मेरा मूड पूछते हैँ
सच कहूँ मैँ भी अब
इनपर कुछ ज्यादा ही
भरोसा करने लगा हूँ
आजकल इन्हीँ के
मार्गदर्शन मेँ चलने लगा हूँ
यह रोज रोज बिस्कुट
डालने का ही प्रताप है
ये मुझे अकेला
नहीँ रहने देते
फालतू लोगोँ को अपनी बात
नहीँ कहने देते
कल,म्युनिसपिलटी वाले
अपनी औकात भूल गए
इन कुत्तोँ मेँ से एक को
उठाकर ले गए
इन्हीँ कुत्तोँ के कारण
एक मंत्री जी से हो गया था याराना
मेरे फोन पर उन्होँने
भेज दिया फौरन परवाना
हुआ चमत्कार
बाइज्जत छोड़ते हुए
बोले म्युनिसपिलटी वाले
गलती हो गयी सरकार
दुम खड़ी करता हुआ
फूलमालाओँ से लदा
कुत्ता वापस आ गया
और मेरा रौब अब
दूसरे मोहल्लोँ मेँ भी छा गया
धीरे धीरे कुत्तोँ की
संख्या बढ़ती गयी
साथ-साथ मेरी
कीमत भी चढ़ती गयी
काश!
ये राज मैँ पहले समझ जाता
कि आज के इस कुत्तागर्दी
के दौर मेँ
जरूरी है कुत्तोँ को बिस्कुट खिलाना
डॉ. मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद
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